• Home
  • Current News
  • Columns
  • Judiciary
  • Know your law
  • Stories
  • International News
  • Taxation News
  • Voice of Women
  • Home
  • Current News
  • Columns
  • Judiciary
  • Know your law
  • Stories
  • International News
  • Taxation News
  • Voice of Women
Live Adalat
Facebook Twitter Instagram
  • Home
  • Current News
  • Columns
  • Judiciary
  • Know your law
  • Stories
  • International News
  • Taxation News
  • Voice of Women
Live Adalat
Home»Columns»महिला अधिकार एवं कानूनों का दुरूपयोग

महिला अधिकार एवं कानूनों का दुरूपयोग

0
By Live Adalat on November 25, 2021 Columns, Current News, International News, Point of View, Voice of Women
Share
Facebook Twitter LinkedIn Pinterest Telegram WhatsApp

By: Abhishek Yadav

भारत में महिलाओं की सुरक्षा और महिला अधिकारों के प्रोत्साहन के लिए कई विशेष कानून बनाए गए हैं, जिससे महिलाओं को सामाजिक आर्थिक सुरक्षा और उनका सम्मिलित विकास हो सके लेकिन आज ऐसे कानूनों का दुरुपयोग बढ़ता जा रहा है, भारत में आज दहेज हत्या, घरेलू हिंसा, और रेप जैसे जघन्य महिला अपराधों के फर्जी मामले बढ़ते ही जा रहे है यह एक चिंता का विषय है क्योंकि फर्जी मामलों की बढ़ोत्तरी से जो वास्तव में पीड़ित महिलाएं हैं उनकी न्याय की राह कठिन हो जायेगी, अधिक फर्जी मामले या कानूनों का दुरुपयोग ऐसे कानूनों की विश्वसनीयता और निष्पक्षता पर प्रश्नचिन्ह लगाता हैं।

इसलिए आज हम ऐसे ही कुछ आंकड़ों और कानूनों के बारे में जानेंगे और समझेंगे की किस प्रकार से महिलाओं के लिए बनाए गए कानूनों को पुरुषों के खिलाफ हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है और क्यों इन्हे शंशोधित करने की जरूरत है।

एक अध्ययन के अनुसार भारत में झूठे रेप मामलों में विगत कुछ वर्षों से बहुत अधिक तेजी से वृद्धि हुई है, दिल्ली महिला आयोग की एक रिपोर्ट के अनुसार अप्रैल 2013 से जुलाई 2014 के बीच दर्ज़ हुए रेप के मामलों में 53% फर्जी थे आयोग ने अपनी रिपोर्ट में यह भी बताया है की अधिकतर फर्जी मामलों में या तो पुरुषों पर दवाब बनाने के लिए या फिर संपत्ति को हड़पने की मंशा से ऐसे मामले दर्ज कराया गया था।

NCRB की एक रिपोर्ट के हवाले 2016 में दर्ज 38,947 रेप के मामलों में से 10,068 मामले फर्जी थे, NCRB ने अपनी रिपोर्ट में साफ किया है की ऐसे
अधिकतर फर्जी मामले पुरुषों की सामाजिक छवि धूमिल करने के प्रयास से और सबक सिखाने की कुंठा के आधार पर ही दर्ज कराए गए थे। सेंटर फॉर सोशल रिसर्च इंडिया (SFSRI) नाम की एक गैर सरकारी संस्था ने अपने सर्वेक्षण में ये बताया है की पढ़ी लिखी साक्षर और आर्थिक रूप से स्वतंत्र महिलाएं ऐसे कानूनों का दुरुपयोग सबसे ज्यादा करती हैं।


दरअसल आमधारणा यह रही है की समाज में लैंगिक आधार पर महिलाएं ही शोषित रहीं हैं और यह बात एक हद तक ठीक भी है लेकिन समस्या वहां खड़ी हो जाती है जब कानून और समाज एक तरफा रूप से यह मान लेते हैं की लैंगिक आधार पर शोषण का शिकार सिर्फ महिलाएं ही हैं। ऐसा बिल्कुल नहीं है की लैंगिक आधार पर सिर्फ महिलाएं ही शोषण का शिकार होती हैं, अमेरिका की एक गैरसरकारी संस्था UCDCA की एक रिपोर्ट के अनुसार 18.3% महिलाएं और 1.4% पुरुष कभी न कभी किसी शारीरिक शोषण का शिकार हुए हैं लेकिन अमेरिका के कानून एवं न्याय मंत्रालय के आंकड़ों के हिसाब से शारीरिक शोषण के 99% मामलों में सिर्फ पुरुष ही दोषी हैं।

यह अंतर साफ दिखाता है की आज लैंगिक रूप से निष्पक्ष कानूनों की कितनी आवश्यकता है।

भारत सरकार द्वारा 2007 में किए गए एक सर्वेक्षण में सरकार ने यह माना है की बच्चों के प्रति होने वाले यौन अपराधों में 57.3% यौन अपराध नाबालिक पुरूषों के साथ हुए हैं और 42.7% यौन अपराधों का शिकार नाबालिक महिलाएं बनीं हैं जिसमें से नाबालिक लड़कों के खिलाफ हुए यौन अपराधों में 16% महिलाएं दोषी पायी गई और सिर्फ 2% पुरुष ही नाबालिक पुरुषों के खिलाफ हुए यौन अपराधों में दोषी पाये गए हैं। शोषण का शिकार कोई भी हो सकता है और हर किसी के पास अपने बचाव और निष्पक्ष न्याय का अधिकार होना ही चाहिए, सर्वोच्च न्यायालय ने 1975 के एक घरेलू हिंसा मामले (DR. N.G. Dastane Vs. S Dastane) में अपनी टिप्पणी करते हुए यह साफ कहा है कि “जो शक्तिशाली स्थिति में होगा वो हमेशा दूसरे के प्रति शारीरिक क्रूरता करेगा।”


न्यायालय ने अपनी टिप्पणी की व्याख्या करते हुए ये भी कहा है की आमतौर पर हमें ऐसी क्रूरता का उदाहरण पति द्वारा पत्नी पर की गई क्रूरता से मिलता है लेकिन हर बार यह जरूरी नहीं। पुरुष और महिला दोनों ही एक दूसरे के प्रति शारीरिक और मानसिक क्रूरता करने की क्षमता रखते हैं। 

कानून हर व्यक्ति एवं वर्ग की सुरक्षा के लिए बनाए जाते हैं, लेकिन अतीत में महिलाओं पर पुरुषों द्वारा किए गए अत्याचारों के कारण उन्हें समाज का एक कमजोर और उत्पीड़ित वर्ग माना जाता रहा है इसलिए समय-समय पर उनकी रक्षा के लिए विभिन्न कानून बनाए गए हैं। लेकिन जैसा कि हम आज देख रहे हैं जो कानून महिलाओं को लाभ पहुंचाने के लिए बनाए गए थे उनके गलत और झूठे इस्तेमाल की बात सामने आ रही है। ऐसे ही कुछ चर्चित कानून हैं जिन पर सर्वाधिक दुरुपयोग के आरोप लगते हैं, जैसे आईपीसी की धारा 498-ए जो महिलाओं पर उनके पति या उनके ससुराल वालों द्वारा की गई क्रूरता का जिक्र करती है लेकिन एक पहलू जिसका आईपीसी कहीं भी जिक्र नहीं करती वह है पुरुषों के प्रति क्रूरता जिसकी भी एक संभावना है।

यह आवश्यक नहीं है कि केवल महिलाओं के साथ क्रूरता की जा सकती है पुरुष भी ऐसे मामलों में पीड़ित हो सकते हैं इसी तरह आईपीसी
498–ए में पुरुषों द्वारा क्रूरता का उल्लेख किया गया है जबकि इसको बदलकर किसी व्यक्ति द्वारा क्रूरता का उल्लेख होना चाहिए जिससे यह पुरुषों और महिलाओं दोनों को अपने दायरे में ले सके। यह सिर्फ एक उदहारण है इसी प्रकार से हमें कई ऐसे कानून मिल जायेंगे जो सिर्फ महिलाओं के प्रति अन्याय का जिक्र करते हैं और जिनमें प्रथम दृष्टया पुरुषों को दोषी मान लिया जाता है।

आईपीसी की धारा 304B, धारा 375, सीआरपीसी की धारा 125, अनुच्छेद15(1) आदि कानून इसी तरह के कानूनी लैंगिक पक्षपात का उदाहरण हैं। कानूनों का यह एक विशेष वर्ग के प्रति झुकाव दूसरे वर्ग के प्रति इनके दुरुपयोग की संभावना को बढ़ा देता है इसलिए हमें ऐसे कानूनों की आवश्यकता है जो हर वर्ग के प्रति समानता का व्यवहार करें जिनमे किसी के साथ भी पक्षपात की कोई जगह ना हो। इसलिए जरूरी है कि कानूनों को संशोधित कर और प्रबल किया जाए जिससे सबके साथ न्याय संभव हो सके।

Live Adalat Misuse of laws Women Law
Share. Facebook Twitter Pinterest LinkedIn Telegram WhatsApp
Previous ArticleA plea has been filed before the Supreme Court seeking to remove from the preamble the words ‘socialist’ and ‘secular’
Next Article “Life term” to the convicts of Shakti Mills gang-rape case

Related Posts

Delhi High Court quashed a petition challenging practice of offering “Cash Benefits” in exchange for votes during elections

May 17, 2022

How will civilised society survive with illegal structures appearing on roads, Delhi High Court asks objecting to Islamic mazars on public roads

May 17, 2022

Same Sex Marriage: Centre opposes plea for live streaming of proceedings in Delhi High Court

May 17, 2022

Comments are closed.

The Live Adalat welcomes articles, blog posts and other forms of content. If you are interested in writing for us, joining us please write to us at adalatlive@gmail.com
Top judgements of March
https://liveadalat.com/wp-content/uploads/2022/03/WhatsApp-Video-2022-03-28-at-16.39.34.mp4
VIEW MORE VIDEOS
INTERESTING LEGAL FACTS
VIEW MORE VIDEOS

Participate in Live Adalat Legal Quiz

Facebook Twitter Instagram

Contact Us

Email : info@liveadalat.com

Subscribe Newsletter

© 2022 Liveadalat.com
  • Home
  • About Us
  • Terms

Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.

Sign In or Register

Welcome Back!

Login to your account below.

Lost password?